Saturday 5 May 2018

सन्जिब दाहाल बैगुण का अत्यन्तै मार्मिक गजल





कतै कर्ममा खुसि दान छकि छैन भगवान ।।
ऐस अाराम अालिसान छकि छैन भगवान ।।

पहिले चिनेकाेथे उनलाइ अहिले बिर्सेहाेला कि
के छ हाम्राे चिन जान छकि छैन भगवान ।।

कहि कतै अनुहार पुस्तिकामा नि भेटिदैन त
अचेल उस्काे श्रिमान छकि छैन भगवान ।।

न मन चाेरेकि हाे उसले न त दिलै चाेरि 
 सङगै भाथ्याे चियापान छकि छैन भगवान ।।

उस्कैमा म थिय मेरै कुरा गर्न हाे विहानि पख
जम्मा भाथ्याे खानदान छकि छैन भगवान ।।

जब जाने वेला भाे म खुसि हुँदै अाफ्नै बाटाे
गर्न थाल्या मेचबान छकि छैन भगवान ।।


No comments:

Post a Comment